भारत – हमारे देश का मात्र नाम नहीं, भारत शब्द गुमान है ,गौरव है, पहचान है उन असंख्य देशवासियों का जो इस देश की धरा पर जन्मे और मानव जीवन व्यतीत किया हमारे गौरव पर शासन करने की अनेकों कोशिश की गई ,हमारे देश के वीर सपूतों ने राष्ट्र गौरव को सबसे बड़ा दर्जा दिया और उनकी कोशिश नाकाम कर दी।

उन वीर सपूतों की सूची में सबसे पहला नाम आता है इस धरा पर जन्मे मां भारती के वीर पुत्र का नाम नेताजी सुभाष चंद्र बोस जिन्होंने अपना मन ,तन ,रक्त का कण कण ,अपना संपूर्ण जीवन मां भारती को स्वतंत्र बनाने में समर्पित कर दिया।

23 जनवरी 1887 इस तारीख को मां भारती के इस यशस्वी पुत्र ने एक व्यक्ति के रूप में जन्म लिया और अपने कृत्तत्व से एक व्यक्तित्व बने और अपने उस परम और घोर कृतित्व से आज के दौर में एक विचार बनकर सदैव के लिए वर्तमान हो गए हम बात कर रहे हैं ऐसे भारतीय कि अपनी बहादुरी और देशभक्ति के जज्बे से भारत में ब्रिटिश के चुरो को हिला कर रख दिया था और आजादी की लव जो 1857 में जल चुकी थी उसे ज्वाला का रूप देकर अंग्रेजों को खदेड़ने का साहस दिखाया ।

हमारे नेता जी पूरा स्वराज मांगने वाले पहले क्रांतिकारी थे उनका कहना था ” पूरे स्वराज से कम कुछ भी नहीं ,पूरी रोटी, पूरा चांद पूरा स्वराज मांगने वाले थे हमारे नेता जी।


आईसीएस की परीक्षा

नेताजी ने हर पल देश की आजादी को अपना पहला दायित्व माना और इसी के चलते आई .सी.एस जैसी अत्यंत ही सुखदाई नौकरी को लात मार अपना सारा ध्यान देश की आजादी पर रखा ,
इस निर्णय पर घर से भी विरोध और नाराजगी का सामना करना पड़ा परंतु नेताजी आजादी का संकल्प उठाया आगे बढ़ते जा रहे थे ।


नेताजीजी की विचारधारा

नेताजी का मानना था राष्ट्रवाद मानव जाति के आदर्श से प्रेरित है –
सत्यम (सच ),
शिवम (ईश्वर),
सुंदरम (सुंदर)

वह अपने साथियों से कहते थे “आज हमारी एक ही इच्छा होनी चाहिए ,मरने की इच्छा ताकि भारत जी सके । एक शहीद की मृत्यु का सामना करने की इच्छा ताकि शहीद के खून से स्वतंत्रता का मार्ग प्रशस्त हो सके”।
इसी क्रम में वह यह जोड़ते थे “एक व्यक्ति एक विचार के लिए मर सकता है, विचार उसकी मृत्यु के बाद एक हजार जन्म में अवतरित होगा “और हम यह भी जानते हैं कि इतिहास में कि कोई भी वास्तविक परिवर्तन कभी भी चर्चाओं से हासिल नहीं हुआ है।

इसीलिए नेताजी कहते थे “आजादी दी नहीं जाती आजादी ली जाती है“।

“ये सख्स देखने लायक है “यह शब्द ब्रिटिश आर्मी के सबसे बड़े अफसर से निकले, यह संभव संभव था तो नेताजी के बहादुरी और उपलब्धियों को देखकर ।
नेताजी का व्यक्तित्व का इतना प्रभावशाली था उन्होंने दुनिया के सबसे बड़े तानाशाह एडोल्फ हिटलर को भी अपने जज्बे से अत्यंत प्रभावित किया।


आज़ाद हिंद फ़ौज।

आजाद हिंद फौज की कहानी ” जिंदगी है कौम की” गाते हुए विदेशी धरती पर एक सेना बनाई जो आजादी के लिए लड़ रही थी।
भारत के स्वतंत्रता संग्राम पर आजाद हिंद फौज का प्रभाव सैन्य था ,यह एक विदेशी धरती पर भारतीय सेना की भावना और स्वतंत्रता के लिए लड़ रही थी जिन्होंने लोगों को उत्साहित किया ।

गौरवान्वित होने वाली बात यह है आजाद हिंद सरकार के पहले पीएम थे नेताजी।

31 दिसंबर – यह तिथि है जब नेताजी के देश की शान को दोगुना करते हुए शहीद और स्वराज जिसे हम अंडमान और निकोबार नाम से जानते हैं सन तिरालिस में पहली बार भारतीय परचम फहराया था और उनका कहना था इस इलाके पर अधिकार के साथ ही अंतिम सरकार के राष्ट्रीय नेता अब वास्तविकता और का चोला ओढ़ चुकी है,
सौभाग्यवश के 4 वर्ष बाद ही माँ भारती दासता की बेड़ियों से मुक्त हो गई ।
आजकल हमें देखने मिलता है कई बार लोग meenlt और island की बात करते हैं परंतु हमें बताना चाहूंगा नेता जी का कहना था” समूचा भारत यहां का कण-कण में लैंड है उतना ही मिलता है जितना हम भारत के अन्य किसी स्थल को मानते”।


नेताजी की मृत्यु।

दुर्भाग्यपूर्ण बात यह है जिन्होंने जिंदाबाद भारत की मुकम्मल तस्वीर की बुनियाद रखी उन्हें हम उस दर्जे का सम्मान देने से वंचित किया गया है,और अमीर जादे को भ्रष्ट नेताओं को आजादी का श्रेय दिया जाता है ।
शर्मनाक बात यह भी है कि ताइवान प्लने क्रैशनेताजी की रहस्यमई मृत्यु का अब तक पुष्टिकरण नहीं हो पाया है और भारत सरकार अब तक पुष्टिकरण करने में अक्षम रही ,उनकी मृत्यु पर तहकीकात करने वाले उनके अफसरों और जानकारों से पता चलता है नेताजी की मृत्यु से जुड़े सैकड़ों दस्तावेजों को नष्ट कर दिया गया और भारतीय सरकार उन्हें इस विषय पर तह तक जाकर तहकीकात करने से भी मनाही है।

इसका श्रेय हमारे देश में उस समय सत्ता में बैठे राजनेता को जाता है, परिणाम स्वरूप हम अभी भी इससे अवगत नहीं है कि नेता जी के जीवन की अमर यात्रा कब समाप्त हुई।

– मनदीप यादव
(BPT- 2020 batch)

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